ब्लड कैंसर क्या होता है ? कारण, लक्षण, उपचार, और बचाव

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ब्लड कैंसर क्या होता है ?

हमारे रक्त का निर्माण 3 तरह के सेल होता है, जिन्हें लाल रक्त सेल प्लेटलेट्स और सफेद रक्त सेल के नामों से जाना जाता है।आमतौर पर, ये सेल स्टेम सेल से आते  हैं, जिसका काम किसी भी तरह के लाल  सेल को बनाना और उसे विकसित करना है। जब स्टेम सेल इस काम को नहीं कर पाता है, तो उसे ब्लड कैंसर कहा जाता है।

ब्लड कैंसर

रक्त कैंसर के लक्षण

यद्यपि प्रत्येक प्रकार का रक्त कैंसर अलग-अलग होता है, फिर भी उनमें कुछ सामान्य लक्षण और संकेत हो सकते हैं।

रक्त कैंसर से पीड़ित कुछ लोगों में बीमारी के गंभीर होने तक कोई लक्षण नहीं दिखते। या वे लक्षणों को गंभीर सर्दी या फ्लू समझ सकते हैं।

रक्त कैंसर के कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:

  • खांसी या सीने में दर्द। संभावित कारण आपकी तिल्ली में असामान्य रक्त कोशिकाओं का निर्माण हो सकता है।
  • बार-बार संक्रमण होना। संभावित कारण नियमित रोगाणुओं से लड़ने के लिए पर्याप्त श्वेत रक्त कोशिकाओं का न होना है।
  • बुखार या ठंड लगना। संभावित कारण पर्याप्त श्वेत रक्त कोशिकाओं का न होना है, जिसके कारण बार-बार संक्रमण होता है।
  • बिना किसी कारण के दाने, चोट या रक्तस्राव। संभावित कारण पर्याप्त प्लेटलेट्स का न होना है, जो रक्त को जमने में मदद करने वाली कोशिकाएं हैं।
  • खुजली वाली त्वचा। संभावित कारण अज्ञात हैं।
  • भूख न लगना या मतली आना। संभावित कारण आपकी तिल्ली में असामान्य रक्त कोशिकाओं का निर्माण है, जिससे यह आपके पेट पर दबाव डालती है।
  • रात को पसीना आना। संभावित कारण अज्ञात हैं।
  • लगातार कमज़ोरी और थकान। संभावित कारण पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाएँ न होना (एनीमिया) है।
  • सांस लेने में तकलीफ़। संभावित कारण एनीमिया है।
  • गर्दन, बगल या कमर में सूजन, दर्द रहित लिम्फ नोड्स। संभावित कारण आपकी लिम्फ ग्रंथियों में असामान्य सफेद रक्त कोशिकाओं का निर्माण है।

ब्लड कैंसर

ब्लड  कैंसर  के प्रकार

ब्लड कैंसर मुख्य रूप से 3 प्रकार के होते हैं, जो निम्नलिखित हैं-

  • ल्यूकेमिया- यह ब्लड कैंसर का प्रमुख प्रकार है, जिसमें सफेद रक्त सेल की मात्रा लाल रक्त सेल की तुलना में काफी ज्यादा हो जाती है।अक्सर, ऐसा देखा गया है कि कुछ लोगों में ल्यूकेमिया कैंसर की शुरूआत धीरे-धीरे होती है और कुछ समय के बाद यह काफी घातक रूप ले लेता है।
  • ल्यूमफोमा- जब किसी व्यक्ति के शरीर में लिम्फोसाइट का विकास असामान्य तरीके से हो जाता है, तो उस स्थिति को ल्यूमफोमा कहा जाता है।हालांकि, इसका इलाज दवाईयों अथवा रेडिएशन थेरेपी के द्वारा संभव है, लेकिन यदि यह लंबे समय तक लाइलाज रह जाता है तो उस स्थिति में इसके लिए सर्जरी ही एकमात्र विकल्प बचता है।
  • माइलोमा- माइलोमा कैंसर से तात्पर्य ऐसे कैंसर से है, जिसमें प्लासमा सेल प्रभावित होता है और इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।इस कैंसर की वजह से हड्डियां कमजोर हो जाती है और उस स्थिति में डॉक्टर कैल्शियम की गोलियां देते हैं ताकि उसके शरीर में कैल्शियम की मात्रा बढ़ सके।

रक्त कैंसर के कारण

ब्लड कैंसर कैसे होता है?/ ब्लड कैंसर के कारण 1) लंबे समय तक शरीर में संक्रमण(Infection) रहने से ब्लड कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।
2) अगर किसी व्यक्ति का इम्यून सिस्टम(Immune System) कमजोर है तो उसे ब्लड कैंसर हो सकता है।
3) एचआईवी(HIV) और एड्स(AIDS) जैसे संक्रमण प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देते हैं, और बाद में ब्लड कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
4) अन्य प्रकार के कैंसर के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली रेडिएशन थेरपी की उच्च खुराक रक्त कैंसर का कारण बन सकती है।
ब्लड कैंसर किसी को भी हो सकता है और ब्लड कैंसर सबसे आम कैंसर है। जब ब्लड कैंसर होता है, तो कैंसर सेल्स शरीर में रक्त नहीं बनाने का कारण बनती हैं।इससे शरीर में खून की कमी महसूस होती है। ल्यूकेमिया(Leukemia) अस्थि मज्जा(Bone Marrow) पर भी हमला करता है। और खून की कमी से इंसान की मौत हो जाती है.

ब्लड कैंसर  के लक्षण

  • एनीमिया या बुखार-   ब्लड कैंसर के शुरुआती स्टेज में आपको एनीमिया जैसे संकेत दिखाई दे सकते हैं। हर समय थकावट, कमजोरी या हल्का-सा बुखार भी ब्लड कैंसर का संकेत होते हैं।
  • गले में सूजन- ब्लड कैंसर होने पर गले या अंडरआर्म्स में हल्का दर्द और सूजन आ जाती है। इसके अलावा अगर आपके पैरों में लगातार सूजन और सीने में जलन रहती है तो तुरंत डॉक्टर के पास जाए क्योंकि ये ब्लड कैंसर के शुरूआती लक्षण है।
  • ब्लीडिंग होना- अगर आपके मुंह, नाक से या शौच के दौरान खून निकल रहा है तो इसे नजरअंदाज बिल्कुल न करें। इसके बारे में सचेत होकर जल्दी से डॉक्टर के पास जाए और ब्लड कैंसर की जांच करवाएं।
  • न्यूमोनिया होना- न्यूमोनिया होना, मुंह में घाव हो जाना, स्किन पर रेशेज,सिर दर्द होना, हल्का बुखार या गले में इन्फेक्शन को इग्नोर न करें। इस तरह के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से चेकअप कराएं।
  •  वजन कम होना- अचानक वजन कम होना या भूख न लगना भी ब्लड कैंसर का संकेत होता है। जिन लोगों को कैंसर होता है उनका वजन असामान्य रूप से कम होने लगता है। अगर बिना किसी प्रयास के शरीर का वजन ज्यादा कम हो जाए तो यह ब्लड कैंसर का शुरूआती लक्षण हो सकता है।
  • थकावट-ब्लैंड कैंसर के दौरान शरीर में हीमोग्लोबिन की संख्या तेजी से कम होने लगती है और ऑक्सीजन शरीर के अंगो तक सही मात्रा में नहीं पहुंचती। इस वजह से शरीर के सभी अंग काम करना बंद कर देते है और थकावट महसूस होने लगती है।
  • हड्डियों और जोड़ों में दर्द- हड्डियों और जोड़ों में दर्द होना सिर्फ अर्थराइटिस ही नहीं ब्लड कैंसर का भी लक्षण हो सकता है। रक्त कैंसर अस्थि मज्जा में होने वाला रोग है, जोकि हड्डियों और जोड़ों के आसापास ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। यह मैरो में सफेद रक्त कोशिकाओं की मात्रा बढ़ जाने के कारण होता है।
  • पेट की समस्याएं-  असामान्य सफेद रक्त कोशिकाएं लिवर में जमा होने से एकत्र हो जाती हैं जिससे पेट में सूजन और अन्य समस्याएं हो जाती है। इस तरह की सूजन से आपकी भूख भी कम हो सकती है। थोड़ा सा खाने पर ही आपका पेट भरा लगने लगता है। ऐसे में आपको डॉक्‍टर से जरूर संपर्क करना चाहिए।

ब्लड कैंसर की स्टेजेस

मेटास्टेसिस के आधार पर कैंसर के चरणों को बांटा गया है। ब्लड कैंसर के लक्षणों और दर के अनुसार स्टेज को तय किया जाता है। मुख्य रूप से कैंसर के चार स्टेज होते हैं, जो निम्नलिखित प्रकार से है:-

  • स्टेज-1 : लिम्फोसाइट्स की संख्या अचानक बढ़ जाने के कारण लिम्फ नोड्स भी बढ़ जाते है। इस स्टेज में दूसरों की तुलना में कम खतरा होता है और इस स्टेज में कैंसर इलाज योग्य होता है क्योंकि मेटास्टेसिस का विकास इस स्टेज में पूरी तरह से शुरू नहीं होता है।
  • स्टेज-2 : इस स्टेज में, रोगी के शरीर के अंग जैसे स्पलीन, यकृत(लिवर) और लिम्फ नोड्स बढ़ जाते हैं। सभी अंग एक ही समय में प्रभावित नहीं होते हैं बल्कि कैंसर इन अंगों पर धीरे-धीरे हमला करता है।
  • स्टेज-3 : इस स्टेज में, रोगी एनीमिया का शिकार हो जाता है और स्पलीन, यकृत (लिवर) और लिम्फ नोड्स कैंसर से प्रभावित होने लगते हैं। इस स्टेज में दो से ज्यादा अंग निश्चित रूप से प्रभावित होते हैं।
  • स्टेज-4 : यह आखिरी स्टेज होती है जिसमें कैंसर का शरीर पर प्रभाव अत्यंत प्रभावित होता है और रोगी की मौत की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है क्योंकि ब्लड प्लेटलेट बहुत तेज़ी से गिरने लगती हैं। इस स्टेज में फेफड़ों के साथ-साथ और भी महत्वपूर्ण अंग कैंसर सेल्स से प्रभावित होने लगते हैं।

ब्लड कैंसर का  इलाज

  • दवाई लेना- यह ब्लड कैंसर का इलाज करने का सबसे आराम करने का तरीका है। डॉक्टर ब्लड कैंसर से पीड़ित व्यक्ति को कुछ दवाईयां देते हैं।
    ये दवाईयां कैंसरयुक्त को विकसित होने से रोकती हैं ताकि भविष्य में ब्लड कैंसर का इलाज आसानी से किया जा सके।
  • रेडिएशन थेरेपी कराना- हालांकि, रेडिएशन थेरेपी कई बार असफल  हो जाती है, लेकिन फिर भी इसका उपयोग डॉक्टर द्वारा किया जाता है क्योंकि यह एक प्रभावी प्रक्रिया है,  जिसका द्वारा ब्लड कैंसर का इलाज बेहतर तरीके से किया जा सकता है।
  • कीमोथेरेपी कराना- अक्सर, डॉक्टर ब्लड कैंसर का इलाज करने के लिए कीमोथेरेपी का भी इस्तेमाल करते हैं।
    कीमोथेरेपी सर्जरी में कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है ताकि यह शरीर के अन्य अंगों  में न फैले तो इससे पीड़ित शख्स बेहतर ज़िदगी जी सके।
  • मॉनिटरिंग करना- कई बार,ब्लड कैंसर का इलाज करने के लिए मॉनिटरिंग तकनीक का भी इस्तेमाल किया जाता है।
    इस प्रक्रिया में शरीर के अंदरूनी हिस्सा की गतिविधियों पर निगरानी रखी जाती है और फिर उसके अनुसार ब्लड कैंसर का इलाज किया जाता है
  • कैंसर सर्जरी कराना- जब ब्लड कैंसर का इलाज किसी और अन्य तरीकों से नहीं होता है, तो डॉक्टर कैंसर सर्जरी करने की सलाह देते हैं।कैंसर सर्जरी ब्लड कैंसर का इलाज करने का सर्वोत्तम तरीका है

ब्लड कैंसर

रक्त कैंसर का चरण निर्धारण

स्टेजिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जो कैंसर के फैलाव और गंभीरता को बताती है। यह आपकी देखभाल टीम के प्रत्येक सदस्य को कैंसर के सटीक प्रकार, स्थान और फैलाव के बारे में बताती है।

डॉक्टर ट्यूमर के आकार और बीमारी के फैलाव को मापकर ठोस ट्यूमर (जैसे फेफड़े का कैंसर या स्तन कैंसर) का पता लगाते हैं। लेकिन रक्त कैंसर अलग होता है।

प्रत्येक प्रकार के रक्त कैंसर के लिए अपनी अलग स्टेजिंग प्रणाली का उपयोग किया जाता है।

आपका डॉक्टर आपको बताएगा कि वे आपके रक्त कैंसर की अवस्था का निर्धारण कैसे करते हैं।

सामान्यतः रक्त कैंसर का पता निम्नलिखित अवस्थाओं से लगाया जाता है:

  • रक्त कोशिकाओं की गणना, जिसमें स्वस्थ कोशिकाओं की संख्या भी शामिल है।
  • कैंसर कोशिकाओं का आकार और संख्या.
  • कैंसर कोशिकाओं में आनुवंशिक उत्परिवर्तन.
  • अन्य अंगों में कैंसर कोशिकाओं की उपस्थिति।
  • हड्डी की क्षति (ल्यूकेमिया और मल्टीपल मायलोमा के साथ)।
  • बढ़े हुए यकृत या प्लीहा।

डॉक्टर नॉन-हॉजकिन लिम्फोमा को भी ग्रेड देते हैं। ग्रेडिंग से कैंसर के विकास पैटर्न और आक्रामकता को समझने में मदद मिलती है।

लिम्फोमा हो सकते हैं:

  • निम्न श्रेणी: धीमी गति से बढ़ने वाला या सुस्त।
  • मध्यवर्ती ग्रेड: मध्यम विकास दर।
  • उच्च श्रेणी: तेजी से बढ़ने वाला या आक्रामक।

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