विटामिन की कमी से होने वाले रोग और उनके स्त्रोत क्या है ?

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विटामिन-A की कमी से होने वाले  रोग

विटामिन आँखों से देखने के लिये अत्यंत आवश्यक होता है। साथ ही यह संक्रामक रोगों से बचाता है। यह विटामिन शरीर में अनेक अंगों को सामान्य रूप में बनाये रखने में मदद करता है जैसे कि त्वचा, बाल, नाखून, ग्रंथि, दाँत, मसूड़ा और हड्डी। सबसे महत्वपूर्ण स्थिती जो कि सिर्फ विटामिन ए के अभाव में होती है, वह है अंधेरे में कम दिखाई देना, जिसे रतौंधि (Night Blindness) कहते हैं। इसके साथ आँखों में आँसूओं के कमी से आँखें सूख जाती हैं और उनमें घाव भी हो सकते हैं। बच्चों में विटामिन ए के अभाव में विकास भी धीरे हो जाता है, जिससे कि उनके कद पर असर कर सकता है। त्वचा और बालों में भी सूखापन हो जाता है और उनमें से चमक चली जाती है। संक्रमित बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है ताजे फल दूध माॅस अण्डा मछली का तेल गाजर मक्खन हरी सब्जियों में होता है Aका संश्लेषण पौधे के पीले या नारंगी वर्णक से प्राप्त केरोटिन से यकृत(लीवर)में होता हैैAदृष्टिवर्णक रोडोप्सिन के संश्लेषण में सहायक होता है रंतौधी मोतियाबिंद जीरोफ्थेल्मिया त्वचा शुष्क,शल्की संक्रमण का खतरा आंख का लैंस दूधिया आवरण से अपारदर्शक होने से मोतियाबिंद होता है

विटामिन A की कमी मुख्य रूप से निम्न रोगों का कारण बनती है, जैसे:

  • रतौंधी
  • संक्रमण का उच्च जोखिम, विशेष रूप से गले , छाती और पेट में
  • कूपिक हाइपरकेराटोसिस , जो सूखी, ऊबड़ त्वचा का कारण बनता है।
  • केराटोमालेशिया
  • प्रजनन सम्न्धी समस्याये
  • बच्चों में विकास में देरी, इत्यादि

विटामिन-A के   स्त्रोत

अंडा दूध गाजर, पालक, पपीता , अंडे की जर्दी, दही, सोयाबीन  और अन्य पत्तेदार हरी सब्जियां शामिल हैं।

विटामिन बी

विटामिन बी शरीर को जीवन शक्ति देने के लिए अति आवश्यक होता है। इस विटामिन की कमी से शरीर अनेक रोगो का घर बन जाता है। विटामिन बी के कई विभागों की खोज की जा चुकी है। ये सभी विभाग मिलकर ही विटामिन ‘बी’ कॉम्पलेक्स कहलाते हैं। हालाँकि सभी विभाग एक दूसरे के अभिन्न अंग हैं, लेकिन फिर भी सभी आपस में भिन्नता रखते हैं। विटामिन ‘बी’ कॉम्पलेक्स 120 सेंटीग्रेड तक की गर्मी सहन करने की क्षमता रखता है। उससे अधिक ताप यह सहन नहीं कर पाता और नष्ट हो जाता है। यह विटामिन पानी में घुलनशील होता है। इसके प्रमुख कार्य स्नायुओं को स्वस्थ रखना तथा भोजन के पाचन में सक्रिय योगदान देना होता है। भूख को बढ़ाकर यह शरीर को जीवन शक्ति देता है। खाया-पिया अंग लगाने में सहायता प्रदान करता है। क्षार पदार्थो के संयोग से यह बिना किसी ताप के नष्ट हो जाता है, पर अम्ल के साथ उबाले जाने पर भी नष्ट नहीं होता। विटामिन बी कॉम्प्लेक्स के स्रोतों में टमाटर, भूसी दार गेहूँ का आटा, अण्डे की जर्दी, हरी पत्तियों का साग, बादाम, अखरोट, बिना पॉलिश किया चावल, पौधों के बीज, सुपारी, नारंगी, अंगूर, दूध, ताजे सेम, ताजे मटर, दाल, जिगर, वनस्पति साग-सब्जी, आलू, मेवा, खमीर, मक्की, चना, नारियल, पिस्ता, ताजे फल, कमरकल्ला, दही, पालक, बन्दगोभी, मछली, अण्डे की सफेदी, माल्टा, चावल की भूसी, फलदार सब्जी आदि आते हैं।

विटामिन-B1  की कमी से होने वाले  रोग

विटामिन B1 की कमी से बेरीबेरी  और वेर्निक-कोर्साकोफ सिंड्रोम आदि रोग हो सकते हैं।

विटामिन-B1के  स्त्रोत

खमीर  ,सूअर का मांस  ,अनाज के दाने ,सूरजमुखी के बीज, ब्राउन राइस, साबुत अनाज ,फूलगोभी ,आलू ,संतरे अंडे, इत्यादि।

विटामिन B2 की कमी से  होने  वाले  रोग

विटामिनB2 की कमी से निम्न रोग हो सकते हैं:

  • एरीबोफ्लेविनोसिस
  • ग्लोसाइटिस
  • एंगुलर स्टोमाटाइटिस

विटामिन B2 के  स्त्रोत

केले ,लंबी भिंडी ,पनीर ,दूध ,दही ,मांस ,अंडे ,मछली ,हरी सेम, इत्यादि।

विटामिन C की कमी से  होने  वाले  रोग

विटामिन C की कमी मुख्य रूप से स्कर्वी रोग का कारण बनती है। विटामिन C की कमी से होने वाले रोग निम्न हैं, जैसे:

  • स्कर्वी
  • मसूड़े की सूजन और  दांत की समस्याएं
  • त्वचा की समस्याएं
  • संक्रमण
  • कैंसर
  • आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया या मेगालोब्लास्टिक अनीमिया
  • अस्थमा

विटामिन C के  स्त्रोत

काले किशमिश, कीवी फल , ब्रोकोली,  लीची , टमाटर , खट्टे फल जैसे- संतरे, नीबू  जामुन ,गोभी ,अमरुद  ,शिमला  मिर्च ,पपीता ,इत्यादि

विटामिन D की कमी से  होने  वाले  रोग

विटामिन  D की कमी अनेक प्रकार के रोगों के उत्पन्न होने का कारण बन सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • रिकेट्स
  • हड्डियों की कमजोरी या ऑस्टियोपोरोसिस
  • दिल  के दौरे
  • अवसाद
  • बच्चों में अस्थमा
  • प्रीक्लेम्पसिया
  •  मधुमेह की समस्या उत्पन्न होना
  • विटामिन डी की कमी कुछ कैंसर जैसे कि स्तन कैंसर  और पेट के कैंसर के विकास में भी योगदान कर सकती है।

विटामिन D  के  स्त्रोत

झींगा और सैल्मन मछली , संतरे का रस ,दूध , मशरूम ,अनाज ,अंडे ,कॉड लिवर तेल , दही, इत्यादि।

विटामिन E की  कमी  से होने  वाले  रोग

विटामिन E की कमी निम्न रोगों को उत्पन्न होने का कारण बनती है:

  • हेमोलिटिक एनीमिया
  • न्यूरोमस्कुलर रोग जैसे कि स्पिनोसेरेबेलर अटैक्सिया  और मायोपैथी ।
  • न्यूरोलॉजिकल समस्याएं जैसे- डिसरथ्रिया
  • रेटिनोपैथी
  • प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की हानि, इत्यादि

विटामिन E  के  स्त्रोत

कीवी फल, अंडे,  दूध , नट्स , बादाम , मूंगफली ,एवोकैडो ,पत्तेदार हरी सब्जियां , बिना गर्म किए हुए वनस्पति तेल ,गेहूं के बीज ,साबुत अनाज, इत्यादि।

विटामिन K  की  कमी  से  होने  वाले  रोग

विटामिन K की कमी मुख्य रूप से असामान्य रक्त स्त्राव का कारण बनती है। इसके अतिरिक्त विटामिन K की कमी अनेक प्रकार के रोगों को जन्म देने के लिए उत्तरदाई हो सकती है, जिनमें शामिल हैं:

  • ऑस्टियोपोरोसिस
  • रोजेशिया
  • ह्रदय  रोग
  • बिलियरी सिरोसिस
  • हड्डी के नुकसान
  • हड्डियों में फ्रैक्चर जैसे- स्पाइनल फ्रैक्चर, हिप फ्रैक्चर और नॉन-स्पाइनल फ्रैक्चर
  • लीवर कैंसर,  फेफड़ो का कैंसर , स्तन कैंसर इत्यादि।

विटामिन K  के  स्त्रोत

शरीर में विटामिन K की पूर्ति आहार या खाद्य पदार्थों के माध्यम से की जाती है। इसे सप्लीमेंट के रूप में भी प्राप्त किया जा सकता है। पत्तेदार हरी सब्जियों में विटामिन K1 की मात्रा सर्वाधिक होती है, इसके अतिरिक्त विटामिन  K के उच्चतम स्त्रोतों में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे: पालक , ब्रोकोली, गोभी , शलजम , ब्रसेल्स स्प्राउट्स , वनस्पति तेल , डेयरी उत्पाद , अनाज , सोयाबीन, इत्यादि।

 

विटामिन {vitamin} या जीवन सत्व भोजन के अवयव हैं जिनकी सभी जीवों को अल्प मात्रा में आवश्यकता होती है। रासायनिक रूप से ये कार्बनिक यौगिक होते हैं। उस यौगिक को विटामिन कहा जाता है जो शरीर द्वारा पर्याप्त मात्रा में स्वयं उत्पन्न नहीं किया जा सकता बल्कि भोजन के रूप में लेना आवश्यक है

विटामिन की कमी से होने वाले रोग का विस्तृत रूप —-

विटामिन ए — वृद्धि रुकना रतौधी व जीरफ्थेल्मिया , संक्रमण के प्रति प्रभाव्यता, त्वचा और झिल्लियों में परिवर्तन का आना, दोषपूर्ण दांत आदि ।

विटामिन बी1 — वृद्धि का रुकना ,भूख और वजन का घटना ,तंत्रिका विकास ,बेरी बेरी ,थकान का होना ,बदहजमी ,पेट की खराबी आदि ।

विटामिन बी2– वृद्धि का रुकना , धुधली दृष्टि का होना ,जीभ पर छाले का पड़ जाना ,असमय बुढ़ापा आना ,प्रकाश ना सह पाना आदि ।

विटामिन बी3– जीभ का चिकनापान ,त्वचा पर फोड़े फुंसी होना,पाचन क्रिया में गड़बड़ी ,मानसिक विकारों का होना आदि ।

विटामिन बी5– पेशियो में लकवा ,पैरो में जलन आदि ।

विटामिन बी6– त्वचा रोग ,मस्तिष्क का ठीक से काम ना करना ,शरीर का भार कम होना, अनीमिया आदि ।

विटामिन बी7– लकवा की शिकायत ,शरीर में दर्द , बालों का गिरना तथा वृद्धि में कमी आदि ।

विटामिन बी12– रुधिर की कमी ।

विटामिन सी — मसूड़े फूलना ,अस्थियों के चारो ओर श्राव , जरा सी चोट पर रुधिर निकलना (स्कर्वी ),अस्थियां कमजोर होना आदि ।

विटामिन डी — सूखा रोग (रिकेट्स),कमजोर दांत ,दातों का सड़ना आदि ।

विटामिन ई — जनन शक्ति का कम होना ।

विटामिन के — रुधिर का स्राव होना ,ऐंठन , हीमोफीलिया आदि ।

फोलिक एसिड — अनीमिया तथा पेचिश रोग होता है ।

कुछ आवश्यक विटामिन

विटामिन श्रेष्ठ स्रोत भूमिका आर. डी. ए.
विटामिन ए दूध, मक्खन, गहरे हरे रंग की सब्जियां। शरीर पीले और हरे रंग के फल व सब्जियों में मौजूद पिग्मैंट कैरोटीन को भी विटामिन ‘ए’ में बदल देता है। यह आंख के रेटिना, सरीखी शरीर की झिल्लियों, फ़ेफ़डों के अस्तर और पाचक-तंत्र प्रणाली के लिए आवश्यक है। 1 मि, ग्राम.
थायामिन बी साबुत अनाज, आटा और दालें, मेवा, मटर फ़लियां यह कार्बोहाइड्रेट के ज्वलन को सुनिशचित करता है। 1.0-1.4 मि. ग्राम1.0-1.4 मि. ग्राम
राइबोफ़्लैविन बी दूध, पनीर यह ऊर्जा रिलीज और रख–रखाव के लिए सभी कोशिकाओं के लिए आवश्यक है। 1.2- 1.7
नियासीन साबुत अनाज, आटा और एनरिच्ड अन्न यह ऊर्जा रिलीज और रख रखाव, के लिए सभी कोशिकाओं के लिए आवश्कता होती है। 13-19 मि. ग्रा
पिरीडांक्सिन बी साबुत अनाज, दूध रक्त कोशिकाओं और तंत्रिकाओं को समुचित रुप से काम करने के लिए इसकी जरुरत होती है। लगभग 2 मि. ग्रा
पेण्टोथेनिक अम्ल गिरीदार फ़ल और साबुत अनाज ऊर्जा पैदा करने के लिए सभी कोशिकाओं को इसकी जरुरत पडती है। 4-7 मि. ग्रा
बायोटीन गिरीदार फ़ल और ताजा सब्जियां त्वचा और परिसंचरण-तंत्र के लिए आवश्यक है। 100-200 मि. ग्रा
विटामिन बी दूग्धशाला उत्पाद लाल रक्त कोशिकाओं, अस्थि मज्जा-उत्पादन के साथ-साथ तंत्रिका-तंत्र के लिए आवश्यक है। 3 मि.ग्रा
फ़ोलिक अम्ल ताजी सब्जियां लाल कोशिकाओं के उत्पादन के लिए आवश्यक है। 400 मि. ग्रा
विटामिन ‘सी’ सभी रसदार फ़ल. टमाटर कच्ची बंदगोभी, आलू, स्ट्रॉबेरी हडिडयों, दांत, और ऊतकों के रख-रखाव के लिए आवश्यक है। 60 मि, ग्रा
विटामिन ‘डी’ दुग्धशाला उत्पाद। बदन में धूप सेकने से कुछ एक विटामिन त्वचा में भी पैदा हो सकते है। रक्त में कैल्सियम का स्तर बनाए रखने और हडिडयों के संवर्द्ध के लिए आवश्यक है। 5-10 मि. ग्रा
विटामिन ‘ई’ वनस्पति तेल और अनेक दूसरे खाघ पदार्थ वसीय तत्त्वों से निपटने वाले ऊतकों तथा कोशिका झिल्ली की रचना के लिए जरुरी है। 8-10 मि. ग्रा

विटामिन और उनकी कमी से होने वाले रोग

Sr No विटामिन कमी से होन वाले रोग
1 विटामिन – ए रतौंधी, संक्रमणों का खतरा, जीरोप्‍थैलमिया, मोतियाबिंद, त्वचा शुष्क व शल्की
2 विटामिन – बी 1 बेरी बेरी
3 विटामिन – बी 2 त्‍वचा का फटना, आँखों का लाल होना
4 विटामिन – बी 3 त्‍वचा पर दाद होना
5 विटामिन – बी 5 बाल सफेद होना, मंदबुद्धि होना
6 विटामिन – बी 6 एनिमिया, त्‍वचा रोग
7 विटा‍मिन – बी 7 लकवा, शरीर में दर्द, बालों का गिरना
8 विटा‍मिन – बी 11 एनीमिया,पेचिस रोग 9 विटामिन – बी 12 एनिमिया, पांडुरोग रोग
10 विटामिन – सी स्कर्वी
11 विटामिन – डी रिकेट्स, ऑस्टियोमलेशिया
12 विटामिन – ई जनन शक्ति का कम होना
13 विटामिन – के रक्‍त का थक्‍का न जमना

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