September 16, 2024

क्या डायबिटीज आपकी मेंटल हेल्थ को प्रभावित करती है ?

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Mental-Health

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डायबिटीज को किडनी की बीमारी जैसे कई जटिलताओं से जोड़ा गया है, लेकिन नए शोध में पाया गया है कि टाइप 2 डायबिटीज़ वाले वृद्ध लोगों को सोच और याददाश्त के साथ और भी मुश्किलें हो सकती हैं। पांच साल के अध्ययन के दौरान, मधुमेह वाले प्रतिभागियों में मौखिक स्मृति और प्रवाह में गिरावट देखी गई। एमआरआई स्कैन का उपयोग करते हुए, शोधकर्ताओं ने देखा कि अध्ययन की शुरुआत में प्रतिभागियों के दिमाग छोटे थे – लेकिन मस्तिष्क के आकार में गिरावट के रोगियों द्वारा पीछा किए जाने के वर्षों में भिन्न नहीं थे। जांचकर्ताओं को मस्तिष्क के आकार और सोच और स्मृति मुसीबतों के बीच कोई संबंध नहीं मिला।

पिछले एक दशक में दुनियाभर में जिन बीमारियों का खतरा सबसे अधिक बढ़ा है, डायबिटीज रोग उनमें से एक है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे ‘साइलेंट किलर’ रोग के नाम से जानते हैं, इसका कारण यह है कि डायबिटीज, समय के साथ शरीर को कमजोर करती जाती है। इतना ही नहीं डायबिटीज के कारण शरीर में कई प्रकार की अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है, जो कुछ स्थितियों में जानलेवा भी हो सकती हैं। डायबिटीज के रोगियों को हृदय रोग, धुंधला दिखाई देने, कमजोरी सहित कई अन्य समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक यह वर्षों से ज्ञात है कि टाइप-2 मधुमेह, स्ट्रोक और हृदय रोग के जोखिम को बढ़ाती है। वहीं हाल के अध्ययनों से पता चला है कि मधुमेह के कारण डेमेंशिया जैसे मानसिक रोगों का जोखिम भी बढ़ जाता है।

डायबिटीज के कारण डेमेंशिया का खतरा
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि जिन लोगों को डायबिटीज, विशेषकर टाइप-2 डायबिटीज होता है, उनमें डेमेंशिया विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। डेमेंशिया के कारण चीजों को याद रखने, सोचने या किसी निर्णय तक पहुंचने में कठिनाई होती है।

भूलने की बीमारी: वैज्ञानिकों और हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो डायबिटीज की वजह से याददाश्त में बड़ा असर पड़ता है. टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में 5 वर्षों के अंदर ही मेमोरी लॉस के लक्षण दिखने लगते हैं और साथ ही कुछ मामलों में बोलने पर भी दिक्कत होती है. इसका असर उन लोगों में ज्यादा होता है जिनकी उम्र अधिक होती है.

जिस प्रकार डायबिटीज के मरीजों में ऑर्गन फेलियर, मोटापा, हृदय संबंधी समस्या आदि का अधिक खतरा होता है। ठीक उसी प्रकार ये आपके मेंटल हेल्थ को भी प्रभावित कर सकती है।

दिन प्रतिदिन डायबिटीज के मामले बढ़ रहे हैं, जो एक गंभीर चिंता का विषय है। अनियंत्रित डायबिटीज सेहत संबंधित तमाम समस्याओं के जोखिम को बढ़ा देती है। क्या आपको मालूम है डायबिटीज आपके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है? यदि नहीं, तो आपको बताएं की यह बीमारी कई ऐसे कॉम्प्लिकेशंस और हेल्थ प्रॉब्लम्स को जन्म देती है, जो डिप्रेशन, स्ट्रेस, एंजायटी और अन्य साइकाइट्रिक डिसऑर्डर की स्थिति को खराब कर सकते हैं।

डायबिटीज और मेंटल हेल्थ के बीच में सम्बन्ध

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन के अनुसार मूड और उच्च और निम्न ब्लड शुगर या ग्लाइसेमिक के बीच संबंध होता है। खराब ग्लाइसेमिक रेगुलेशन के लक्षण मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण जैसे चिहीड़चिड़ापन, इरीटेशन और चिंता से मिलते-जुलते हैं। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि ब्रेन मुख्य रूप से ग्लूकोज पर चलता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशीगन स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं में अस्थिर ब्लड शुगर लेवल जीवन की निम्न गुणवत्ता और नकारात्मक मूड से जुड़ा है। डायबिटीज के मरीजों में, हाई शुगर लेवल, या हाइपरग्लाइसेमिया, ऐतिहासिक रूप से क्रोध या उदासी से जुड़ा हुआ है, जबकि रक्त शर्करा में गिरावट, या हाइपोग्लाइसेमिया, घबराहट से जुड़ा हुआ है।

इमोशनल ईटिंग बढ़ा देती है ब्लड शुगर स्पाइक का खतरा

डायबिटीज की शुरुआत में स्ट्रेस एंजायटी डिप्रैशन जैसा महसूस हो सकता है, क्योंकि इस प्रकार के क्रॉनिक हेल्थ कंडीशन का पता लगना और पूरी लाइफ स्टाइल का बदला जाना फौरन एक्सेप्टेबल नहीं होता है, इसमें समय लगता है। जिस प्रक्रिया के दौरान व्यक्ति को तनाव हो सकता है। वहीं इस स्थिति में व्यक्ति इमोशनल ईटिंग करता है और इस दौरान लिए गए खाद्य पदार्थ ब्लड शुगर स्पाइक का कारण बन सकते हैं। जिसकी वजह से भी डायबिटीज की स्थिति और ज्यादा बिगड़ जाती है, बढ़ता ब्लड शुगर लेवल और मेंटल हेल्थ दोनों ही एक दूसरे से जुड़े हैं।

डायबिटीज के मरीज किस तरह अपने मेंटल हेल्थ को मैनेज कर सकते है:

1. थेरेपी

डायबिटीज का मेंटल हेल्थ पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, जिसकी वजह से मूड स्विंग्स, एंजायटी, थकान, तनाव आदि जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में सेल्फ केयर और लाइफ़स्टाइल मोडिफिकेशन एक बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा थेरेपी आपकी कंडीशन में सुधार करती है, थेरेपी में रिलैक्सेशन टेक्निक्स और डायबिटीज मैनेजमेंट टेक्निक्स को शामिल किया जाता है, इनके माध्यम से आपका इमोशनल रेगुलेशन बना रहता है। साथ ही साथ तनाव भी कम होता है।

2. सपोर्ट लेने में कोई बुराई नहीं है

यदि आप डायबिटीज से पीड़ित हैं और आपको स्ट्रेस, एंजायटी जैसी भावनाओं का अनुभव हो रहा है, तो ऐसे में परिवार, दोस्त और अपने पसंदीदा लोगों से मदद लेने में कोई बुराई नहीं है। आप उनसे इस बारे में बात कर सकती हैं। इससे बेहतर महसूस होगा। वहीं अपने हेल्थ केयर प्रोफेशनल से बात करें, वे आपकी इस कंडीशन को हैंडल करने में मदद करेंगे।

3. नियमित रूप से करें ब्लड शुगर की जांच

यदि आप डायबिटीज से पीड़ित हैं, तो नियमित रूप से अपनी ब्लड शुगर लेवल की जांच करती रहें। ताकि अचानक से इसमें उतार चढ़ाव न आए, जिसकी वजह से आपको मेंटल हेल्थ कंडीशंस का सामना करना पड़े, या आपको किसी प्रकार की अन्य परेशानी हो।

4. बेहद जरूरी है नींद और शारीरिक सक्रियता

7 से 8 घंटे की बेहतर नींद और शारीरिक गतिविधियों में भाग लेकर खुद को शारीरिक रूप से सक्रिय रखने से ब्लड शुगर लेवल सहित मानसिक स्थितियों में भी सुधार करने में मदद मिलती है। उचित नींद आपके ब्लड शुगर रेगुलेशन को सामान्य रहने में मदद करती है और मूड बूस्टर की तरह काम करती है।

लंदन के सरकारी विभागों में 10,308 कर्मचारियों पर किए गए अध्ययन में मधुमेह के शुरुआती की उम्र और डिमेंशिया के विकास के बीच संबंध की जांच की गई। शोधकर्ताओं इसमें से हर 1,000 लोगों की अलग-अलग सालाना जांच की जिसमें 70 साल की उम्र तक बिना मधुमेह वाले लोगों में डेमेंशिया की दर 8.9 प्रतिशत पाई गई। तमाम आयु वर्ग के लोगों पर किए गए अध्ययन के आधार पर वैज्ञानिकों ने पाया कि जितनी कम उम्र में आपमें डायबिटीज का पता चलता है, डेमेंशिया के विकसित होने का खतरा उतना अधिक हो सकता है।

डायबिटीज रोगी डेमेंशिया के खतरे को कम कर सकते हैं। जीवनशैली में बदलाव और स्वस्थ आहार का सेवन करना इसके लिए सबसे आवश्यक होता है। यदि आपको डायबिटीज है या नहीं भी है तो भी हर दिन कम से कम 30 मिनट और सप्ताह में पांच दिन एरोबिक व्यायाम जरूर करें। भोजन में स्वस्थ और पौष्टिक चीजों को शामिल करने के साथ वजन को नियंत्रित बनाए रखें। डायबिटीज के साथ हाई ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करें। शराब और धूम्रपान से बिल्कुल दूरी बनाकर आप तमाम समस्याओं से बचे रह सकते हैं।

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