महत्वपूर्ण योगासन जो आपके बच्चो को बनाये चुस्त-दुरुस्त

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कहा जाता है कि मां अपने बच्चे को कभी बीमार नहीं देख सकती। वह हमेशा चाहती है कि उसका बच्चा स्वस्थ और चुस्त रहे। सिर्फ शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि दिमाग से भी वह तेज बने। योग सिर्फ बड़ों के लिए ही नहीं, बल्कि छोटे बच्चों के लिए भी एक तरह की कला है। ये बच्चे के जीवन में उत्साह तो पैदा करेगा ही, साथ ही उसे फिट भी रखता है, जिसका हर एक छोटा आसन भी बच्चे के शरीर पर प्रभाव डालता है।

अगर आप सोते हुए बच्चे को ध्यान से देखें, तो उसका अंगूठा और इंडेक्स फिंगर (फोर फिंगर) एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। यह योग में चिन्मुद्रा आसन है। जब बच्चा जन्म लेता है, तो उसके सभी प्राकृतिक हाव-भाव योगासन से जुड़े होते हैं। बड़ों के साथ बच्चों के जीवन में योग का महत्व लाते हुए अगर यह एक चंचल तरीके से आयोजित किया जाए, तो यह बच्चे में दिलचस्पी पैदा कर उसमें एकाग्रता का स्तर बढ़ाने में भी मदद करेगा।”

अपनी उत्पत्ति के बाद से, योग दुनिया भर में कई लोगों को शरण दे रहा है। योगासनों के लाभ सभी के लिए हैं – फिटनेस या योग्यता चाहने वालों से लेकर शांत और एकाग्र मन को खोजने वालों तक|

योगासन

ये जानना काफी दिलचस्प है कि हम सभी ने शैशव काल में कई योगासन किये हैं। जन्म के बाद से ही, बच्चे लेटे हुए, खड़े होकर व  चलना सीखते हुए भी भिन्न-भिन्न आसन करते रहते हैं| बच्चे योगियों की तरह सांस भी लेते हैं और उनका मन भी योगियों जैसा होता है – हमेशा वर्तमान क्षण में। इसलिए, शुरूआत करने वालों के लिए योग और कुछ नहीं बल्कि केवल खुद को उन आश्चर्यजनक योगासनों को याद दिलाना है जो बचपन में हमने किये थे।

बच्चों के रूप में, हमें विरासत में मिले योग संबंधी ज्ञान की ओर लौटने से हम पर बहुआयामी प्रभाव पड़ता है। यह हमें एक बच्चे जैसी अवस्था प्राप्त करने में मदद करता है जिसमें मन जागरूक हो और वर्तमान में हो। मन, शांत और शिथिल अवस्था में हो तो शरीर, और अधिक लचीला और स्वस्थ हो जाता है।

इसलिए, अपने योग मैट को बाहर निकालें, आरामदायक कपड़े पहनें और शुरूआती तौर पर, इन आसान और अद्भुत योगासनों से शुरू करें।

बच्चो  के लिए कुछ योगासन

  1. -हेप्पी बेबी पोज़–    यह पोज़ मन और शरीर को राहत देते हुए तनाव और थकान को दूर करने में मदद करता है। यह पेड़ू-जांघ के जोड़ के साथ रीढ़ की हड्डी में भी लचक पैदा करता है।

  1. -स्नैकपोज –    यह पोज  रीढ़  की  हड्डी  समेत पैर हाथ, छाती, कंधे ,और पेट पर खिचाव देते  हुए  उन्हें  मजबूत  बनाता है .
  2. बटरफ्लाई पोज – यह  पोज  शरीर  और मन  को  शांत  करता है और तनाव  ,  थकान को  दूर  करता  है बच्चे के कूल्हों और टखनो  पर  खिचाव  लाने  के  लिए  काफी अच्छा है
  3. ऊपर  की  ओर  मुंह  करते  हुए  डॉग  पोज – यह  पोज बच्चे  की  रीढ़ की  हड्डी को  मजबूत  कर  उसमे  खिचाव  पैदा  करता  है   अस्थमा जैसी बीमारी को शांत कर स्ट्रेस लेवल को भी कम करता है
  4. -ट्रीपोज – यह पोज  थाइज  पिंडली  पैर  और  टखनो में  खिचाव  लाते  हुए  शरीर का संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। इसके अलावा यह बच्चे में एकाग्रता भी विकसित करता है

बच्चों के लिए योग के स्वास्थ्य संबंधित फायदेः

  • योग बच्चे के अंदर आत्मविशवास बढ़ाने में मदद करता है।
  • यह स्ट्रेस को कम कर शक्ति को बढ़ाता है।
  • यह पसीने के रूप में शरीर से टॉक्सिन निकालने में मदद करता है।
  • यह रक्त प्रवाह के साथ इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाता है।
  • यह बच्चे के अंदर तीव्रता, ताकत और शरीर में लचक को बनाए रखता है।

स्कूलों में भी हो रहा योग जरूरी

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एन.सी.ई.आर.टी.) ने सीबीएसई स्कूलों को योग के लिए एक औपचारिक दृष्टिकोण प्रस्ताव प्रस्तुत किया है, जिसमें योग को स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा का अभिन्न अंग घोषित किया गया है। योग एक तरह से बच्चे को अपने शरीर पर नियंत्रण रखने और उसके दिमाग को तरोताज़ा रखने में भी मदद करता है।

शुरूआत करने वालों के लिए कुछ योगासन –

चाहे योग अभ्यास के क्षेत्र में आप एक शुरुआती, एक मध्यवर्ती या एक विशेषज्ञ हों, अपनी दिनचर्या हल्के योगासनों और सूक्ष्म व्यायामों (धीमे कसरत करना) के साथ आरम्भ करना बेहतर होता है। कुछ मिनटों का व्यायाम आपकी मांसपेशियों व ऊतकों को अधिक लचीला बनाता है और शरीर को आराम देता है।

एक बार निपुण हो जाने पर आप, इन सरल योगासनों को निम्नलिखित अनुक्रम से कर सकते हैं :

1. पश्चिमोत्तानासन (बैठ कर आगे झुकना) –

यह पीठ के निचले हिस्से में खिंचाव लाता है, पेट और श्रोणि अंगों की प्राकृतिक रूप से मालिश करता है और कंधों को चुस्त-दुरुस्त बनाता है।

2. वीरभद्रासन (वारियर पोज़) –

यह शरीर में संतुलन को बेहतर बनाता है, आंतरिक बल को बढ़ाता है और कंधों में तनाव को दूर करता है। यह टांगों को,‌ भुजाओं को तथा पीठ के निचले हिस्से को भी मजबूत करता है और विशेष रूप से एक गतिरहित (बहुत लम्बे समय तक बैठ कर काम करना) जीवन शैली पर चलने वालों के लिए उपयोगी है।

3. मार्जर्यासन  (कैट पोज़) –

यह पाचन में सुधार करता है, मन को शांत करता है, रीढ़ को लचीला बनाता है व कलाई और कंधों को मजबूत करता है। कैट पोज़

4. शिशु आसन (बालासन) –

यह कब्ज़ को दूर करता है और तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) को भी विश्राम देता है।

5. अर्धचक्रासन (पीछे की ओर झुकना) –

यह भुजाओं और कंधों की मांसपेशियों को चुस्त  करता है। और आगे के ऊपरी धड़ में भी खिंचाव लाता है।

6. हस्तपादासन (आगे झुकना) –

यह पेट की मांसपेशियों में, ऊपरी पीठ में, घुटने के पीछे की नसों में और पिंडलियों की मांसपेशियों में खिंचाव लाता है।

7. उत्कटासन (कुर्सी पोज़) –

यह पीठ के निचले हिस्से को मजबूत बनाता है, शरीर को संतुलित करता है और आपके दृढ़ संकल्प में मजबूती लाता है।

8. योगनिद्रा –

हमेशा योग निद्रा के साथ दिनचर्या समाप्त करें क्योंकि यह किये गए सभी योगासनों के प्रभावों को अवशोषित करने के लिए तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) को तैयार करती है।

9. बद्धकोणासन (तितली आसन) –

यह मल त्याग में सुधार करता है, मासिक धर्म में परेशानी से राहत देता है और कूल्हे के स्थान पर लचीलापन लाता है|

10. कोणासन –

यह कब्ज और कटिस्नायुशूल से पीड़ित लोगों के लिए सहायक है, रीढ़ के लचीलेपन में वृद्धि करता है और भुजाओं, टांगों व पेट के अंगों को मजबूत बनाता है।

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