धनुरासन प्राणायाम करने की प्रक्रिया क्या है?
यह नाम संस्कृत के शब्द धनुर (धनूर) से आया है जिसका अर्थ है “धनुष”, और आसन (आसन) जिसका अर्थ है “मुद्रा” या “आसन”। न्युब्जासन नामक एक समान मुद्रा, “फेस-डाउन आसन”, का वर्णन और चित्रण 19वीं शताब्दी के श्रीतत्वनिधि में किया गया है। इस मुद्रा को 1905 के योगसोपना पूर्वाकातुस्का में आधे स्वर में चित्रित किया गया है और घेरंडा संहिता के विवरण को उद्धृत करते हुए इसे धनुरासन नाम दिया गया है। यह स्पष्ट नहीं है कि यह आसन मध्ययुगीन है, क्योंकि हालांकि नाम का उपयोग किया गया है, इच्छित मुद्रा इस बैकबेंड के बजाय बैठकर आकर्ण धनुरासन हो सकती है। 15वीं सदी के हठ योग प्रदीपिका में धनुरासन का विवरण इस बारे में अस्पष्ट है कि यह मुद्रा लेटने की है या बैठने की, बताते हुए दोनों पैरों के अंगूठों को दोनों हाथों से पकड़कर धनुष की तरह कानों तक खींचना चाहिए। इसे धनुष मुद्रा कहा जाता है। (HYP 1.25) 17वीं सदी की घेरंडा संहिता भी इसी तरह अस्पष्ट है पैरों को ज़मीन पर छड़ी की तरह सीधा फैलाकर, पैरों को हाथों से पकड़कर शरीर को धनुष की तरह झुकाकर, योगी लोग धनुरासन या धनुष-आसन कहते हैं। (जीएचएस 2.18) धनुरासन का उपयोग शास्त्रीय भारतीय नृत्य शैली भरतनाट्यम में किया जाता है।
विवरण
प्रवण स्थिति से, शरीर के साथ धनुष का आकार बनाने के लिए पैरों और छाती को उठाने के लिए पैरों को पकड़ लिया जाता है, बाहें धनुष की डोरी का प्रतिनिधित्व करती हैं।
धनुरासन
धनुरासन करने पर शरीर ‘धनुष’ आकार की तरह दृश्यमान होता है, इसलिए यह आसन धनुरासन कहा गया है। यह आसन कमर और रीड़ की हड्डी के लिए अति लाभदायक होता है। धनुरासन करने से गर्दन से लेकर पीठ और कमर के निचले हिस्से तक के सारे शरीर के स्नायुओं को व्यायाम मिलता है।
अगर इस आसन का अधिकतम लाभ प्राप्त करना हों तो सर्वप्रथम भुजंगआसन (Snake Pose), उसके बाद शलभासन (Locust Pose), और अंत में तीसरा धनुरासन (The Bow Pose) करना चाहिए।
कई योगी-ऋषि गण इन तीन आसनों को ‘योगासनत्रयी’ कह कर भी पुकारते हैं। यह आसन शरीर के स्नायुओं को तो मज़बूती प्रदान करता ही है, इसके साथ साथ पेट से जुड़े जटिल रोगों को दूर करने में भी सहायक होता है। वज़न नियंत्रित करना हों या शरीर सुडौल करना हो, धनुरासन एक अत्यंत गुणकारी आसन है।
धनुरासन का अर्थ होता है धनुष के समान। धनुर और आसन शब्दों के मिलने से धनुरासन बनता है। यहां धनुर का अर्थ है धनुष। इस आसन में साधक की आकृति धनुष के समान बनती है इसलिए इसे धनु रासन कहा जाता है। लेट के किये जाने वाले आसनों में यह आसन काफी महत्वपूर्ण आसन होता है। पेट की चर्बी कम करने वाले आसनों में भी इसकी गिनती होती है। मोटापे और स्त्रियों के प्रजनन तंत्र को कार्यशील बनाने में धनुरासन काफी लाभदायक सिद्ध होता है।
धनुरासन प्राणायाम आसन करने की विधि
चरण 1:सर्वप्रथम किसी स्वच्छ आराम दायक और समतल जगह का चुनाव कर लें, उसके पश्चात चटाई बिछा कर बैठ जाएँ।
चरण 2:धनुरासन शुरू करने के लिए, सब से पहले चटाई पर पेट के बल लेट जाइए। फिर अपनी ठोड़ी ज़मीन पर लगा दीजिये। अपनें दोनों हाथों को पैरों की दिशा में लंबा कर के कमर के पास ज़मीन पर रखें। आप के दोनों हाथों की हथेलियाँ आकाश की और मुड़ी होनी चाहिए।
चरण 3:अब आगे, अपनें दोनों घुटनो को मौड़ कर दोनों पैर ऊपर उठाएँ। जब आप के पैरों की दोनों एड़िया दोनों कूल्हों तक आ जाएं तब अपनें दोनों हाथों से अपनें दोनों पैरों के टखनें पकड़ लें।
चरण 4:याद रहे कि पैरों के टखनों को पकड़ते वक्त हाथ दोनों कुहनियों से सीधे रहने चाहिए।
चरण 5:अब धीरे धीरे शरीर के अंदर गहरी सांस भरते हुए अपनें दोनों पैरों को पीछे की ओर खींचे। और उसी के साथ साथ अपनें दोनों जांघों को और कूल्हों को ज़मीन से ऊपर उठाने का प्रयत्न करें।
चरण 6:जब आप दोनों जांघों को और कूल्हों को ज़मीन से ऊपर उठा रहें हो, उसी के साथ साथ अपनी छाती और गरदन को भी ज़मीन से ऊपर उठा ते रहें।
चरण 7:छाती पूरी तरह से ऊपर उठ जाए तब अपनी ऊपर उठी हुई गर्दन को पीछे की और हो सके उतना ले जाने का प्रयत्न करें।
चरण 8: जितना हो सके इस मुद्रा में कुछ समय टिके रहने का प्रयास करें (दस से बीस सेकंड)। उसके बाद धीरे धीरे कूल्हों और जांघों को ज़मीन की ओर ले आयें। और साथ साथ अपने शरीर के आगे के भाग, यानि छाती और सिर को भी ज़मीन पर ले आयें।
चरण 9:अब दोनों हाथों के द्वारा पकड़ी हुई एड़ियों को मुक्त करें और आसन शुरू करते वक्त हाथ जिस मुद्रा में थे, वैसे ही उन्हे ज़मीन पर रख दें।
चरण 10:धीरे धीरे दोनों मुड़े हुए घुटने सीधे कर लें और दोनों पैरों को पहले की तरह ज़मीन पर रख दें।
चरण 11:अंत में पेट के बल थोड़ी देर वैसे ही लेते रहे। और थकान दूर होने पर दूसरा सेट शुरू करें। और तीन सेट कर लेने के बाद “शवासन” में विश्राम कर लें।
धनुरासन प्राणायाम के फायदे
- यह आसन रीड़ की हड्डी मज़बूत और लचीली बनाता है। सामान्य कमर दर्द दूर कर देता है।
- धनुरासन करने से शरीर की पाचनप्रणाली मज़बूत बनती है। पेट से जुड़े जटिल रोग जैसे की एसिडिटी, , खट्टी डकार और सामान्य पेट दर्द दूर होते हैं।
- धनुरासन करने से सम्पूर्ण शरीर के सभी अंगो को आराम मिलता है। शरीर फुर्तीला बनता है, शरीर पर जमा हुआ चर्बी कम होती है और मोटापा कम होता है।
- धनुरासन करने से छाती, जांघें और कंधे मज़बूत बनते हैं।
धनुरासन में सावधानी
- गर्भवती महिलाओं के लिए यह आसन पूरी तरह से वर्जित है। कमर से जुड़ी गंभीर समस्या हों उन्हे यह आसन डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही करना चाहिए।
- पेट में अल्सर हों, उन्हे यह आसन हानी कारक हो सकता है। उच्च रक्तचाप की समस्या वाले व्यक्ति यह आसन ना करें। सिर दर्द की शिकायत रहती हों, उन्हे भी धनुरासन नहीं करना चाहिए।
- आंतों की बीमारी हों या फिर रीड़ की हड्डी में कोई गंभीर समस्या हों उन्हे भी यह आसन नहीं करना चाहिए।
- गर्दन में गंभीर चोट लगी हों, या फिर माईग्रेन की समस्या हों, तो यह आसन ना करें।
- सारण गाठ (Hernia) रोग से पीड़ित व्यक्ति को यह आसन हानिकारक होता है।
धनुरासन करने पर शरीर के किसी भी अंग में अत्याधिक पीड़ा होने लगे तो तुरंत आसन रोक कर डॉक्टर के पास जाएं। हो सके तो यह आसन किसी योगा टीचर की निगरानी में सीख कर करें। धनुरासन की समय सीमा धीरे-धीरे बढ़ाएँ।
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