मंजिष्ठा डायबिटीज और कैंसर के रोगियों के लिए कैसे फायदेमंद है ?
मजीठ नाम के पौधे की जड़ को मंजिष्ठा कहा जाता है. मजीठ नाम के इस पौधे का वैज्ञानिक नाम रूबिया कॉर्डिफोलिया एल (Rubia Cordifolia L) होता है, जिसे अंग्रेजी में कॉमन मैडर या इंडियन मैडर (Rose Madder or Common Madder) के नाम से भी जाना जाता है. रुबिया टिनिक्टोरम जिसे गुलाब मैडर या कॉमन मैडर या डायर का मैडर के नाम से भी जाना जाता है हर्बसियस बारहमासी पौधे की प्रजाति है. यह बेडस्ट्रॉ और कॉफी परिवार से जुड़ा है, जो फूलों वाले पौधे की एक प्रजाति है. इस पौधे की खेती इसकी जड़ों के लिए की जाती है. आयुर्वेद में मंजिष्ठा का इस्तेमाल कई रोगों के इलाज के लिए किया जाता है. इसे एक रामबाण दवा माना जाता है. इस जड़ी-बूटी का इस्तेमाल डायबिटीज दिल के रोगों और कैंसर जैसे रोगों से लड़ने के लिए किया जाता है.
आयुर्वेद में मंजिष्ठा के औषधीय गुण-
मंजिष्ठा एक आयुर्वेदिक औषधि है। इसकी जड़ से लेकर पत्तियां, कलियां और फूल सहित सभी भाग उपयोगी होते हैं। इसमें कई तरह के पौष्टिक पदार्थ पाए जाते हैं। आयुर्वेद मे मंजिष्ठा यानी मजीठ को रक्त को साफ करने वाली आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी माना जाता है। यह रक्त को साफ करके त्वचा को सेहतमंद बनाने में सहायक होती है। साथ ही मंजिष्ठा रक्तचाप और रक्तवाहिकाओं के कसाव को नियंत्रित करने में मदद करती है। मंजिष्ठा त्रिदोष (कफ, पित्त वात) को शांत रखने में मदद करती है। इसके अलावा आयुर्वेदिक चिकित्सक में मंजिष्ठा कई तरह की बीमारियों से लड़ने में मदद करती है। यह शरीर से ख़राब कोलेस्ट्रॉल निकालने, डायबिटीज को नियंत्रित रखने में सहायक होती है। इसमें कुछ एंटीऑक्सीडेंट भी होते है। जो कैंसर जैसी बीमारियों से शरीर को बचाते हैं। इसके सेवन से मूत्र संक्रमण, दस्त, पेचिस, पुराना बुखार, लिवर की समस्या, गठिया, त्वचा संबंधित समस्याएं आदि कम होती है। अपने कड़वे एवं तीखे स्वाद के कारण ही इसे बेहतर उपाय माना जाता है। इसलिए यह आयुर्वेद में उत्तम दर्जें की औषधि है।
मंजिष्ठा के फायदे
1. वजन कम करने में
अगर आप तेजी से वजन कम करना चाहते हैं तो मंजिष्ठा इसमें आपकी मदद कर सकता है. वजन कम करने के लिए आप मंजिष्टा को अपनी चाय में एड कर सकते हैं या फिर मंजिष्ठा की चाय या काढ़ा बनाकर ले सकते हैं.
2. डायबिटीज और ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में
वजन घटाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं, लेकिन मंजिष्ठा में एंटी-डायबिटीक गुण होते हैं, जो मधुमेह यानी डायबिटीज को कंट्रोल करने में मददगार होते हैं.
3. कैंसर की रोकथाम में फायदेमंद
मंजिष्ठा की जड़ में एंटी कैंसर गतिविधियां पाई गई हैं मंजिष्ठा कैंसर के खतरे को कम करने और कैंसर के सेल्स को बढ़ने से रोकने में मददगार होता है. मंजिष्ठा में मोलुगिन यौगिक होता है, जो कैंसर के खतरे को कम करता है.
4. पीरियड के दर्द को कम करने में फायदेमंद
मंजिष्ठा का इस्तेमाल करके आप मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द से राहत पा सकती हैं. इसे साथ ही आयुर्वेद में मंजिष्ठा को पीरिड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग की समस्या को ठीक करने के लिए दवा के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है.
5. पथरी की समस्या में
मंजिष्ठा के फायदे कई रोगों में होते हैं. इसे पथरी के उपचार में भी उपयोगी माना जाता है. मंजिष्ठा गुर्दे (किडनी) और पित्त की थैली की पथरी के इलाज में लाभकारी होती है.
6. आँख संबंधी समस्या से राहत दिलाये
आँख संबंधी बीमारियों में बहुत कुछ आता है, जैसे- सामान्य आँख में दर्द, आँख लाल होना, आँखों या पलकों का सूज जाना आदि। इन सब तरह के समस्याओं में मंजिष्ठा से बना घरेलू नुस्ख़ा बहुत काम आता है। मंजिष्ठा जड़ से बने काढ़े से आंखों को धोने से आँख का जलन और पलकों के रोगों से छुटकारा मिलता है।
7.जोड़ों के दर्द एवं अर्थराइटिस में फायदेमंद-
मंजिष्ठा के चूर्ण में एंटी अर्थ रितिक प्रभाव होता है। जो जोड़ों के दर्द एवं गठिया रोग से राहत दिलाने में मदद करता है। मंजिष्ठा रक्तचाप में सुधार करके गठिया के लक्षणों को कम करती है। वहीं इसमें रुबिमालीन नामक तत्व पाया जाता है, जो एंटी इंफ्लेमेटरी के गुण को प्रदर्शित करता हैं। यह पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटाइड गठिया के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में फायदेमंद है ।
8.बुखार के लिए-
आयुर्वेद में मंजिष्ठा का उपयोग पुराने से पुराने बुखार के इलाज के लिए किया जाता है। मंजिष्ठा में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। जो स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और खतरनाक बीमारियों से लड़ने में सहायक होते हैं। इसके लिए मंजिष्ठा के चूर्ण का सेवन गुनगुने पानी के साथ करना फायदेमंद होता है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है और बार-बार होने वाली सर्दी- जुकाम एवं बुखार से छुटकारा दिलाता है। इसके अलावा मंजिष्ठा में एंटीवायरल गुण भी पाया जाता है। जो खांसी, जुकाम, सर्दी जैसी वायरल इन्फेक्शन को रोकता है।
9.त्वचा के लिए-
मंजिष्ठा का अर्क त्वचा को चमकदार बनाने का काम करता है। दरअसल, मंजिष्ठा के अर्क का इस्तेमाल कर क्रीम तैयार की जाती है। जिसमें एंटी-वायरल, एंटी- बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा मंजिष्ठा एक रक्त शोधक है। इसलिए यह विभिन्न त्वचा संबंधी विकारों से निजात दिलाता है। यह खुजली, दाद, एक्जिमा, सोरायसिस, त्वचा की जलन आदि से राहत दिलाता है। अतः मंजिष्ठा के चूर्ण का लेप करने से त्वचा संबंधित विकार ठीक होते हैं। साथ ही त्वचा मुलायम और चमकदार बनती है।
10.बालों के लिए-
मंजिष्ठा बालों से जुड़ी समस्याओं के लिए प्रभावी रूप से काम करती है। चूंकि मंजिष्ठा में मौजूद पुरपुरिन एवं मुंजिस्टिन कलरिंग एजेंट की तरह काम करते हैं, जो बालों को रंगने में मददगार होते हैं। इसके अलावा मंजिष्ठा तेजी से बाल विकास को बढ़ावा देती है। साथ ही बालों की जड़ों को मजबूत करती है। जिससे बालों का झड़ना कम होता हैं।
11.प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए-
शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए मंजिष्ठा का सेवन अच्छा माना जाता है। क्योंकि यह जड़ी-बूटी संक्रमण से लड़ने में सहायक और रोगों से बचाव करती है। इस पर किए गए शोध के मुताबिक, मंजिष्ठा में मौजूद एल्केलाइड्स, टैनिन, फ्लेवोनोइड्स, कार्डियक ग्लाइकोसाइड्स,फिनोल कंपाउंड इम्यूनो-मॉड्यूलेशन के लिए जिम्मेदार होते हैं। इम्यूनो-मॉड्यूलेशन से तात्पर्य है कि यह प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया को शरीर की आवश्यकतानुसार बदलता रहता है। इस प्रकार से कहा जा सकता है कि मंजिष्ठा प्रतिरक्षा प्रणाली (रोग प्रतिरोधक क्षमता) बढ़ाने का काम करती है। इसके लिए मंजिष्ठा का काढ़ा या चूर्ण के रूप में सेवन करना फायदेमंद होता है।
12.ट्यूमर के लिए-
मंजिष्ठा का सेवन ट्यूमर से भी बचाने का काम करता है। दरअसल, मंजिष्ठा में मौजूद बाइसाइकलिक हेक्सापेप्टाइड्स (Bicyclic hexapeptides) यौगिक एक तरह से एंटीट्यूमर गतिविधि का काम करता है। इसके लिए मंजिष्ठा के काढ़े या इसके चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ सेवन करें।
मंजिष्ठा के नुकसान (Side Effects of Manjishtha)
क्योंकि मंजिष्ठा एक आयुर्वेदिक औषधि है, जोकि पूरी तरह से प्राकृतिक उत्पादों पर निर्भर करता हे, तो इसके नुकसान न के बराबर होते हैं, लेकिन फिर भी अगर अगर इसका नियंत्रित मात्रा से अधिक सेवन किया जाए तो यह नुकसान पहुंचा सकते हैं.
– मंजिष्ठा में कलरिंग एजेंट होते हैं. तो यह मूत्र के रंग को प्रभावित कर सकता है.
– गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी जड़ी बूटी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
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