ब्रेन ट्यूमर क्या है? कारण, संकेत, और लक्षण
ब्रेन ट्यूमर क्या है ?
यह एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है। यह मस्तिष्क की कोशिकाओं में असामान्य तरीके से वृद्धि होने के कारण होता है। ब्रेन ट्यूमर कैंसर युक्त भी हो सकता है और कैंसर रहित भी हो सकता है। ट्यूमर अगर दिमाग के अंदर हो तो इसे ब्रेन ट्यूमर कहते है। कुछ समय बाद यह ब्रेन कैंसर का भी रूप ले लेता है। जब यह ट्यूमर बढ़ने लगते है तो दिमाग के अंदर दबाव बढ़ने लगता है जो मस्तिष्क को नुकसान पहुँचाते है।
ब्रेन ट्यूमर होने के कारण बहुत से हो सकते है। ब्रेन ट्यूमर तब होता है जब सामान्य कोशिकाओं के डीएनए में किसी प्रकार की ख़राबी आ जाती है या गड़बड़ी हो जाती है। शरीर में कोशिकाएं लगातार विभाजित होती रहती है मरती भी है और उनकी जगह पर नई कोशिकाओं का निर्माण होता है। यदि इस अवस्था में किसी कारण से कोई गड़बड़ी हो जाती है तो शरीर के लिए परेशानी हो सकती है। इसमें नई कोशिकाएं तो बनती रहती है लेकिन पुरानी कोशिकाएं मरती नहीं है और धीरे-धीरे इन्हीं कोशिकाओं की एक गाँठ बन जाती है। जिससे ट्यूमर होता है और यह दिमाग में हो जाये तो इसे ब्रेन ट्यूमर कहते है।
ब्रेन ट्यूमर होने के क्या कारण हैं?
साधारणत: ब्रेन ट्यूमर तब बनता है जब मस्तिष्क कि कुछ कोशिकाएँ आकार या संख्या में असामान्य रूप से वृद्धि करने लगती है। आम तौर पर शरीर की प्रत्येक कोशिका में उपस्थित डीएनए में संग्रहीत निर्देशों द्वारा कोशिका विभाजन या वृद्धि की प्रक्रिया को नियंत्रित किया जाता है। कभी-कभी इस डीएनए में संग्रहीत जानकारी में परिवर्तन (mutation) हो जाता है,जिससे कोशिका गतिविधि असामान्य हो जाती है। इसके फलस्वरूप असामान्य गांठ या ट्यूमर बनने लग जाता है। कुछ जोखिम कारक ब्रेन ट्यूमर की संभावना को बढ़ाते हैं, जैसे कि:
1. उम्र: हालाँकि ब्रेन ट्यूमर किसी को किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन ज़्यादातर यह छोटे बच्चों और वृद्ध लोगों में आम है।
2. लिंग: पुरुषों में ब्रेन कैंसर होने की संभावना महिलाओं की तुलना में अधिक होती है।
3. पारिवारिक इतिहास: आनुवंशिक कारक सभी ब्रेन ट्यूमर में से लगभग 5% ब्रेन ट्यूमर के लिए जिम्मेदार होते हैं।
4. घर और कार्यस्थल का वातावरण: घर और कार्यस्थल पर कीटनाशकों, सॉल्वैंट्स, विनाइल क्लोराइड, तेल उत्पादों और रबर के संपर्क में आने से ब्रेन कैंसर होने की संभावना बढ़ सकती है, हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक पुष्टिकरण नहीं हुआ है।
5. संक्रमण: मस्तिष्क में संक्रमण से सीएनएस लिंफोमा होने की संभावना बढ़ जाती है।
6. सिर पर चोट: हालाँकि कुछ अध्ययनों में विशेषज्ञों ने गहरी सिर की चोट और ब्रेन ट्यूमर, विशेष रूप से मेनिन्जियोमा, के बीच संबंध पाया है, लेकिन ब्रेन ट्यूमर और सिर की चोट के सहसंबंधन के पुख़्ता सबूत अभी भी अपर्याप्त हैं।
7. आयनित रेडिएशन: शरीर या मस्तिष्क पर की गई पुरानी रेडिएशन थेरेपी की वजह से ब्रेन ट्यूमर होने का ख़तरा बढ़ जाता है।
8. विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र के लगातार संपर्क में रहना: हालाँकि, मोबाइल फोन और बिजली लाइनों के उपयोग और वयस्कों में मस्तिष्क के कैंसर के विकास के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है। फिर भी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार ब्रेन ट्यूमर के ख़तरे को कम करने के लिए वयस्कों और बच्चों को अपने सेल फोन के उपयोग को सीमित करना चाहिए और हो सके तो हैंड्स-फ्री हेडफ़ोन का ही इस्तेमाल करना चाहिए।
ब्रेन ट्यूमर के लक्षण
जब ब्रेन ट्यूमर होता है तो इसके कुछ लक्षण दिखाई देते है। इन लक्षणों से हम जान सकते है की ब्रेन ट्यूमर हुआ है। इसके लक्षण अलग-अलग भी हो सकते है जो ब्रेन ट्यूमर के स्थान, आकार और बढ़ने पर निर्भर करता है। ब्रेन ट्यूमर में निम्न तरह के लक्षण दिखाई देते है।
- ब्रेन ट्यूमर के होने पर सिर में बहुत तेज दर्द होता है। इतना की आप सहन नहीं कर सकते। यह ब्रेन ट्यूमर का सबसे सामान्य लक्षण है। ब्रेन ट्यूमर में सिर में दर्द अधिकतर सुबह होता है और लगातार होने लगता है।
- ब्रेन ट्यूमर होने पर चक्कर भी आने लगते है। कई बार चक्कर आने पर व्यक्ति गिर भी सकता है। ट्यूमर यदि सेरिबेलम में हो तो यह शारीरिक संतुलन को प्रभावित कर देता है। जिसके कारण शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है और चक्कर आते है।
- बिना किसी वजह के उल्टी आती है सिर दर्द के साथ ही उल्टी भी शुरू हो जाती है।
- बोलने में भी परेशानी होने लगती है और देखने और सुनने में भी परेशानी आती है।
- ब्रेन ट्यूमर का प्रभाव हमारे शरीर पर भी दिखाई देने लगता है। यदि यह ट्यूमर फ्रन्टल लोब में चला जाता है तो इससे व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन आने लगता है और व्यवहार पर नियंत्रण नहीं रहता है तथा चिडचिडापन आने लगता है।
- यदि मनुष्य चीजों को भी भूलने लगता है तो इसे भी ब्रेन ट्यूमर का एक लक्षण माना जाता है।
ब्रेन ट्यूमर से कैसे बचे
ब्रेन ट्यूमर से बचने के लिए आपको निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- ब्रेन ट्यूमर से बचने के लिए आपको तनाव से बिल्कुल दूर रहना चाहिए तनाव से दूरी बनाकर रखे।
- 7 से 8 घंटे की नींद लेना ज़रुरी होता है। नींद पूरी करे नींद पूरी होगी तो आप तनाव से दूर रह सकते है।
- रोज व्यायाम करे। व्यायाम करने से आप स्वस्थ रहते है और रोगों से दूर रहते है।
- जंकफूड से दूर रहे और अधिक से अधिक मात्रा में पानी पिए।
- नशा और एल्कोहल से दूरी बनाये। पौष्टिक भोजन का सेवन करे।
ब्रेन ट्यूमर का इलाज
ब्रेन ट्यूमर की जरा भी शंका हो तो बिना देर किये डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। एंजियोग्राफी, एमआरआई, सीटी स्कैन, स्पाइनल टेप, बायोप्सी तथा कुछ न्यूरोलॉजिक टेस्ट की आवश्यकता पड़ सकती है। टेस्ट रिपोर्ट में रोग की स्थिति का पता चलने के बाद ही डॉक्टर तय कर सकता है कि इलाज की कौन-सी विधि अपनाई जानी चाहिए। ब्रेन ट्यूमर के लिए सर्जरी प्राय: जरूरी होती है। ट्यूमर आखिरी स्टेज में न हो तो सर्जरी की आधुनिक विधियों ने इसके इलाज को काफी आसान बना दिया है। माइक्रोसर्जरी, इमेज गाइडेड सर्जरी, एंडोस्कोपिक सर्जरी, इंटराऑपरेटिव मॉनिटरिंग आदि उपाय आजमाए जाते हैं। हालांकि सर्जरी को पूरी तरह सुरक्षित नहीं माना जा सकता, क्योंकि इसके कई साइड इफेक्ट्स भी हैं। ब्रेन ट्यूमर के लिए हुई सर्जरी का परिणाम बच्चों को लंबे समय तक भुगतना पड़ सकता है।
ट्यूमर और कैंसर में अंतर
- ट्यूमर को सर्जरी के द्वारा आसानी से हटाया जा सकता है। कैंसर के इलाज के लिए ज्यादा समय का ट्रीटमेंट किया जाता है। जिसमें सर्जरी, रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी को शामिल किया जाता है।
- यह शरीर के किसी हिस्से में नियंत्रण से बाहर होकर बढ़ने लगता है और एक जगह पर इकट्ठा हो जाता है। शरीर में कोशिकाओं का अनियंत्रित रूप से विभाजित होकर पूरे शरीर में फैलना कैंसर कहलाता है।
- ट्यूमर और कैंसर दोनों के लिए अलग-अलग इलाज किया जाता है। ट्यूमर को खत्म करने के लिए डॉक्टर सर्जरी करने की सलाह देते है और यह ट्यूमर के आकर और स्थान पर निर्भर करता है। कैंसर के इलाज के लिए रेडिएशनथेरेपी और कीमोथेरेपी की जाती है।